राज्य सरकार के पास जल संकट से निपटने का कोई प्लान नहीं: धस्माना

Water crisis

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देहरादून। उत्तराखंड के सभी पहाड़ी व मैदानी जिलों में व खास तौर पर शहरों में पीने के पानी का गहरा संकट छाया हुआ है जिससे आम जनता के साथ-साथ राज्य में आने वाले तीर्थ यात्रियों व पर्यटकों को पीने के पानी के लाले पड़ रहे हैं और सरकार के पास आज की तारीक तक इस संकट से निपटने का कोई प्लान नहीं है।

यह बात ए आई सी सी सदस्य व उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने अपने कार्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि इस बार पहले से ही मौसम विभाग ने भीषण गर्मी पड़ने की भविष्यवाणी की हुई थी और राज्य में मार्च के महीने से ही जंगलों में आग की घटनाएं घटनी शुरू हो गई थी जिन्होंने मई आते आते विकराल रूप धारण कर लिया और अब तक लगभग दो हजार हैक्टेयर जंगल आग की भेंट चढ़ गया जिससे पानी के कई प्राकृतिक स्रोत सुख गए।

श्री धस्माना ने कहा की राज्य की सरकार भूमिगत पानी रीचार्ज के क्षेत्र में भी कोई उल्लेखनीय काम नहीं कर रही जिसके कारण अधिकांश प्राकृतिक चश्मे व जल धाराएं लुप्त हो रहे हैं। श्री धस्माना ने कहा कि राज्य के मैदानी क्षेत्रों में अंधाधुंध गैर योजना गत निर्माण व नदी नालों में अवैध खनन भी पानी संकट का बड़ा कारण है जिस पर सरकार का कोई ध्यान नहीं है।

कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा कि इस समय राज्य में चार धाम यात्रा चल रही है जिसमें रेकॉर्ड तोड़ तीर्थ यात्री पहुंच रहे हैं और साथ ही देश विदेश से सैलानी उत्तराखंड आ रहे हैं लेकिन पूरे राज्य में पीने के पानी का आलम यह है कि न तो स्थानीय जनता के लिए पर्याप्त पानी का इंतजाम है और न ही सैलानियों व तीर्थयात्रियों को आवश्यक मात्रा में पानी मिल पा रहा है।

राजधानी देहरादून के जल संकट पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि हमने मई की शुरुआत में ही जल संस्थान की मुख्य महाप्रबंधक नीलिमा गर्ग का घेराव कर देहरादून के जल संकट से अवगत कराया था और इसके समाधान की मांग की थी किंतु स्थितियां और खराब हो गई हैं और पूरे महानगर में इस वक्त गंभीर पानी का संकट है जिससे जनता में भारी आक्रोश व्याप्त है। श्री धस्माना ने कहा कि राज्य सरकार को तत्काल राज्य में पैदा पानी संकट को युद्ध स्तर पर दूर करना चाहिए।

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