ग्राफिक एरा में राष्ट्रीय संगोष्ठी, सूक्ष्मजीव संचालन में उपयोगी

Microbial Innovations and Challenges

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सूक्ष्मजीवों की कोई छुट्टी नहीं होती, वे दिन रात जीवन की गतिविधियों को संचालित करते हैं। विशेषज्ञों ने यह विशिष्ट बात आज ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में कही। यह संगोष्ठी माइक्रोबियल इन्नोवेशंस एंड चैलेंजिस: अपॉर्चुनिटीज फार सस्टेनेबिलिटी विषय पर आयोजित की गई। 

संगोष्ठी में आज उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के महानिदेशक डॉ. दुर्गेश पंत ने कहा कि वैज्ञानिक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी तकनीकों की मदद से सूक्ष्मजीवों पर शोध कर रहे हैं। यह शोध कार्य मानव कल्याण और पर्यावरणीय समस्याओं के हल निकालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।

Microbial Innovations and Challenges :- संगोष्ठी में भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी के वरिष्ठ वैज्ञानिक व आचार्य नरेंद्र देव कॉलेज, दिल्ली के प्रो. रूप लाल ने कहा कि पृथ्वी पर 1400 हानिकारक सूक्ष्म जीवों के मुकाबले एक खरब सूक्ष्मजीव लाभदायक हैं। उनके साथ संतुलित संबंध बनाना पर्यावरण और मनुष्य दोनों के लिए फायदेमंद होगा।

इस मौके पर सुविनियर का विमोचन हुआ। दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के पहले दिन आज 80 से ज्यादा शोधपत्र पढ़े गए। राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन डिपार्टमेंट ऑफ़ माइक्रोबायोलॉजी ने डिपार्मेंट आफ बायोटेक्नोलॉजी, डिपार्टमेंट ऑफ़ फ़ूड साइंस एंड टेक्नोलॉजी, ग्राफिक एरा इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज, ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी के डिपार्टमेंट ऑफ़ फार्मेसी और डिपार्टमेंट ऑफ़ एग्रीकल्चरल साइंसेज के सहयोग से किया।

संगोष्ठी में डीन लाइफ साइंसेज प्रो. प्रीति कृष्णा, प्रो. अनीता पांडे, डिपार्टमेंट ऑफ़ माइक्रोबायोलॉजी की एच.ओ.डी. डॉ. अंजू रानी, डिपार्टमेंट ऑफ़ बायोटेक्नोलॉजी की एच.ओ.डी. डॉ. मनु पंत, डिपार्टमेंट ऑफ़ फ़ूड साइंस एंड टेक्नोलॉजी के एच.ओ.डी. डॉ. विनोद कुमार, डॉ. दिव्या वेणुगोपाल, डॉ. गौरव पंत, शिक्षक शिक्षिकाएं, पीएचडी स्कॉलर और छात्र छात्राएं भी मौजूद रहे।

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