
Uttarakhand Silver Jubilee
उत्तराखंड राज्य की रजत जयंती के उपलक्ष्य में श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय द्वारा अपने ऋषिकेश कैंपस में “अंतर्राज्यीय विश्वविद्यालय वाद-विवाद प्रतियोगिता” का सफल आयोजन किया गया। इस प्रतियोगिता में राज्य के 15 विश्वविद्यालयों की टीमों ने भाग लिया। प्रत्येक टीम को पक्ष और विपक्ष में अपने विषय पर तीन मिनट का समय दिया गया तथा विषय तत्काल मौके पर प्रदान किए गए।
प्रतियोगिता में उत्तरांचल विश्वविद्यालय, देहरादून की टीम ने प्रथम स्थान, डीबीएस ग्लोबल विश्वविद्यालय, देहरादून ने द्वितीय स्थान, तथा कुमाऊँ विश्वविद्यालय, नैनीताल ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। विजेता टीमों को क्रमशः ₹15,000, ₹13,000 एवं ₹11,000 के नकद पुरस्कार और प्रमाण पत्र प्रदान किए गए।
कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि प्रो. देवेंद्र भसीन, उपाध्यक्ष, उच्च शिक्षा उन्नयन समिति, तथा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.(डा.) एन. के. जोशी थे। समापन सत्र में ऋषिकेश के विधायक एवं पूर्व मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।
अपने संबोधन में डा. देवेंद्र भसीन ने कहा कि आज का दिन ऐतिहासिक है क्योंकि आज ही के दिन ‘वंदे मातरम्’ के 150 वर्ष पूरे हुए हैं। उन्होंने विद्यार्थियों को स्वतंत्रता आंदोलन में “वंदे मातरम्” के योगदान की याद दिलाई। कुलपति डा. एन. के. जोशी ने राज्य के 25 वर्षों की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उत्तराखंड ने शिक्षा और संरचनागत विकास में उल्लेखनीय प्रगति की है। वहीं कैंपस निदेशक प्रो. (डाॅ.) महावीर सिंह रावत ने कहा कि राज्य की रजत जयंती के अवसर पर इस तरह की राज्य स्तरीय प्रतियोगिता का आयोजन विश्वविद्यालय के लिए गौरव की बात है।

समापन सत्र में स्थानीय विधायक और पूर्व मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने विजेता विद्यार्थियों को बधाई देते हुए राज्य आंदोलन के संघर्ष की याद दिलाई और कहा कि ऋषिकेश परिसर लगातार प्रगति के मार्ग पर है।
निर्णायक मंडल में प्रो. (डा.) सुभाष चंद्र थलेडी, प्रो.(डा.) एन. के. माहेश्वरी (पूर्व उच्च शिक्षा निदेशक) और प्रो.(डाॅ.) जानकी पंवार (पूर्व प्राचार्य, पीजी कॉलेज कोटद्वार) शामिल रहे।
अपने संबोधन में प्रो. थलेडी ने कहा कि वाद-विवाद जैसी प्रतियोगिताएँ विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में पाठ्य सहगामी गतिविधियों के महत्व का उल्लेख किया और कहा कि ऐसी प्रतियोगिताएँ विद्यार्थियों में नेतृत्व क्षमता और अभिव्यक्ति कौशल को विकसित करती हैं। डा. माहेश्वरी ने विद्यार्थियों से कहा कि उन्हें केवल पुस्तकीय ज्ञान तक सीमित न रहकर इस प्रकार की प्रतियोगिताओं में सक्रिय भागीदारी करनी चाहिए। प्रो. जानकी पंवार ने भी विद्यार्थियों का उत्साहवर्धन करते हुए अपने विचार रखे।
कार्यक्रम में प्रो. दिनेश शर्मा, प्रो. ए. पी. दुबे, प्रो. अधीर, प्रो. अनीता तोमर, प्रो. हेमलता, प्रो. पीके सिंह, पारुल मिश्रा तथा विश्वविद्यालय के कुल सचिव दिनेश कुमार सहित अनेक प्राध्यापक एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।



