साहित्य

गढ़वाली गीत संग्रह “चाँदी सि हिमालै” का विमोचन

Chandi Si Himalai

देहरादून। हिमालय लोक साहित्य एवं संस्कृति विकास ट्रस्ट के तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम में गढ़वाली गीतकार, गायक व संगीत निर्देशक संतोष खेतवाल जी के गीत संग्रह “चाँदी सि हिमालै” का विमोचन गढरत्न नरेंद्र सिंह नेगी के कर कमलों से हुआ। नरेंद्र सिंह नेगी बतौर मुख्य अतिथि इस कार्यक्रम में उपस्थित थे।

दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र, देहरादून के सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम का शुभारंभ  मुख्य अतिथि नरेंद्र सिंह, विशिष्ट अतिथि डॉ नंद किशोर हटवाल व मंचासीन अन्य गणमान्य लोगों के द्वारा दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। दीप प्रज्वलन के उपरांत मंचासीन अतिथियों के द्वारा संतोष खेतवाल की सद्य प्रकाशित पुस्तक का विमोचन किया गया।

इसके उपरांत आमंत्रित अतिथियों व उपस्थित लोगों का स्वागत करते हुए गीत संग्रह के लेखक संतोष खेतवाल ने कहा कि आज का यह पल उनके जीवन का अविस्मरणीय पल है  और यह संग्रह मेरे 40 वर्षो के रचनाकर्म का दस्तावेज है। पुस्तक के कथ्य व शिल्प पर अपनी बात रखते हुए गढ़वाली साहित्यकार व कवि मदन मोहन डुकलाण ने कहा कि इस गीत संग्रह में एकल गीत, युगल गीत व भजन तीन प्रकार के गीतों को संकलित किया गया है जिसमें कुछ ऐतिहासिक व उत्तराखंड की गौरवशाली सैन्य परम्परा को दर्शाते गीत भी हैं जिन्हें गहन अध्ययन व शोध के बाद लिखा  गया प्रतीत होता है। संतोष खेतवाल की पुस्तक पर अपने विचार व्यक्त करते हुए वरिष्ठ कवि लेखक व रंगकर्मी विजय मधुर ने कहा कि इस पुस्तक में संकलित गीत लोकरंजन के साथ ही गढ़वाल के समाज की अनेक परंपराओं व रीत-रिवाजों का भी लेखा-जोखा प्रस्तुत करते हैं। इस अवसर पर संतोष खेतवाल जी के पुत्र संकल्प खेतवाल ने विमोचित पुस्तक से कुछ गीतों का गायन भी किया।

कार्यक्रम में उपस्थित सामाजिक कार्यकर्ता डा स्वामी एस. चंद्रा ने कहा कि साहित्य समाज का दर्पण होता है और हम खेतवाल जी की इस पुस्तक में अपने पहाड़ की अपने समाज की तस्वीर देख सकते हैं।

वरिष्ठ साहित्य व लोक के मर्मज्ञ डॉ नंद किशोर हटवाल मे कहा कि गीत हमारे समाज में जीवन का एक महत्वपूर्ण अंग है। इसके बिना जीवन की कल्पना करना कठिन है। उन्होंने कहा कि खेतवाल ने पुस्तक के रूप में अपने गीतों को प्रकाशित कर इन्हें साहित्य प्रेमियों व भविष्य के शोधार्थियों के लिए संरक्षित कर लिया है।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सुप्रसिद्ध गीतकार व गायक नरेंद्र सिंह नेगी जी ने अवसर पर कहा कि वे इन गीतों को सुनते आये हैं और ये गीत जनता के बीच पहले से ही बहुत लोकप्रिय हैं। इन्हें सिर्फ अभिलेखीकरण की आवश्यकता थी जो आज पूरी हो गई है।

हिमालय लोक साहित्य एवं संस्कृति विकास ट्रस्ट द्वारा प्रकाशित इस गढ़वाली गीत संग्रह “चाँदी सि हिमालै” में कोषाधिकारी, पौड़ी,  पद से सेवानिव्रत संतोष खेतवाल के 137 गीत हैं | जिन्हें उन्होंने वर्ष 1981 से लेकर अब तक लगभग 44 वर्षों में आकाशवाणी, दूरदर्शन, विभिन्न मंचों, कैसेटस, गढ़वाली फिल्मों के माध्यम से समाज के बीच पहुंचाया है।

इस अवसर पर सभागार में संतोष खेतवाल जी के परिवार जनों में  श्रीमती माहेश्वरी देवी, सुश्री पुष्पा खेतवाल, डॉ. अमन भारती , डॉ. श्रृष्टि खेतवाल, श्री शाहिल माथुर, सुश्री सुनिष्ठा माथुर, संकल्प खेतवाल, सारांश खेतवाल, कुलानंद घनशाला, दिनेश बौड़ाई, चंद्रदत्त सुयाल, सुरेश स्नेही, आलोक मलासी, कांता घिल्डियाल आदि से साथ नगर के गणमान्य व्यक्ति, कवि, साहित्यकार व संस्कृतिकर्मी ने उपस्थित रहे। कार्यक्रम की सफल संचालन आशीष सुंदरियाल ने किया।

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