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‘पड़ाव-3’ आर्ट मेंटरिंग कार्यक्रम: हिमालयी कलाकारों के लिए सशक्त मंच

‘Stage-3’ Art Program

देहरादून। बंगाणी आर्ट फाउंडेशन द्वारा आयोजित ‘पड़ाव-3’ आर्ट मेंटरिंग कार्यक्रम का आज सफल समापन हुआ। यह छह दिवसीय आवासीय कार्यशाला 17 जून से 22 जून तक देहरादून के काया लर्निंग सेंटर में आयोजित की गई, जिसमें उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के 24 प्रतिभाशाली युवा कलाकारों ने भाग लिया।

‘पड़ाव’ फाउंडेशन की एक विशेष पहल है, जिसका उद्देश्य हिमालयी क्षेत्रों के उभरते कलाकारों को मार्गदर्शन, प्रशिक्षण और एक रचनात्मक मंच प्रदान करना है। इस आवासीय मेंटरशिप कार्यक्रम के अंतर्गत युवा प्रतिभाओं को न केवल समकालीन कला की सूक्ष्मताएँ सिखाई जाती हैं, बल्कि उन्हें कला की दुनिया में आगे बढ़ने के लिए आवश्यक व्यावहारिक ज्ञान भी दिया जाता है।

कार्यक्रम के दौरान सुप्रसिद्ध चित्रकार एवं फाउंडेशन के संस्थापक जगमोहन बंगाणी, तथा फाउंडेशन की निदेशक पूनम शर्मा ने युवा प्रतिभाओं का मार्गदर्शन किया। प्रतिभागियों को कला की तकनीकी समझ के साथ-साथ समकालीन यथार्थ, शैली निर्माण, कला विपणन (marketing) और प्रदर्शन की बारीकियों से भी परिचित कराया गया।

फाउंडेशन अब तक उत्तराखंड, हिमाचल, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख जैसे क्षेत्रों के 52 से अधिक कलाकारों को प्रशिक्षित कर चुका है, जिनमें 22 महिलाएं शामिल हैं। इससे पहले “पहाड़ के रंग” और “पड़ाव” जैसी पहलें भी सफलतापूर्वक आयोजित की जा चुकी हैं, जिनका उद्देश्य स्थानीय सांस्कृतिक विरासत को संजोते हुए युवा कलाकारों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मंच देना रहा है।

कार्यक्रम के अंतिम दिन प्रतिभागियों द्वारा बनाई गई कलाकृतियों की एक भव्य प्रदर्शनी का आयोजन किया गया, जिसमें दर्शकों ने कलाकारों के कार्यों की भूरी-भूरी प्रशंसा की। इन चित्रों में न केवल तकनीकी दक्षता झलकती थी, बल्कि हर रचना में कलाकार की संवेदना, सोच और एक विशिष्ट दृष्टिकोण भी नजर आया।

प्रदर्शनी में दर्शकों की उत्साही भागीदारी और युवा कलाकारों की आँखों में कला के प्रति गहराई से झलकती प्रतिबद्धता यह संकेत देती है कि ‘पड़ाव’ जैसी पहलें भविष्य के लिए एक मजबूत नींव रख रही हैं।

जगमोहन बंगाणी मानते हैं कि जहां महानगरों में कलाकारों को अवसर सहज उपलब्ध होते हैं, वहीं पहाड़ी क्षेत्रों के युवाओं को उचित मार्गदर्शन और संसाधनों की कमी का सामना करना पड़ता है। ऐसे में ‘पड़ाव’ जैसा कार्यक्रम न केवल प्रतिभाओं को निखारता है, बल्कि क्षेत्रीय सांस्कृतिक पहचान को भी सहेजता है।

“पड़ाव” एक प्रयास है — अपनी मिट्टी से जुड़े कलाकारों को पहचान देने का, और उन्हें एक ऐसे भविष्य की ओर ले जाने का जहाँ वे आत्मनिर्भर और रचनात्मक रूप से सशक्त बन सकें।

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