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डब्ल्यूआईसी इंडिया ने महिला जागरूकता पर चर्चा सत्र किया आयोजित

Essay on women awareness

देहरादून। वर्ल्ड इंटीग्रिटी सेंटर इंडिया (डब्ल्यूआईसी) देहरादून ने ‘डब्ल्यूआईसी टॉक ऑन वूमेन अवेयरनेस’ नामक एक ज्ञानवर्धक और विचारोत्तेजक सत्र का आयोजन किया। सुप्रीम कोर्ट की एडवोकेट त्रिशला मलिक के नेतृत्व में आयोजित इस सत्र का विषय था ‘अनलीशिंग वुमनहुड थ्रु द पॉवर ऑफ़ लॉ’ और इसका उद्देश्य महिलाओं को सशक्त बनाने में कानूनी ज्ञान की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालना था।

Essay on women awareness

दर्शकों को संबोधित करते हुए एडवोकेट मलिक ने इस पर चर्चा करी कि कानून महिलाओं को एक व्यक्ति और नागरिक के रूप में मानता है, और इसके बावजूद भी महिलाओं के खिलाफ अपराध जारी हैं। उन्होंने बताया कि इस तरह के अपराधों के पीछे एक प्रमुख कारण प्रचलित मानसिकता है। ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए छोटी उम्र से ही लड़कों को नारीत्व और महिलाओं के अस्तित्व के महत्व के बारे में सिखाया जाना चाहिए।

इसके अलावा, एडवोकेट मलिक ने बच्चों के खिलाफ बढ़ते अपराधों के बारे में बात करी, और विशेष रूप से कम उम्र से ही बच्चों को अच्छे स्पर्श, बुरे स्पर्श के बारे में शिक्षित करने के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने अभिभावकों से सेक्स पर चर्चा से जुड़ी वर्जनाओं को तोड़ने का आग्रह किया और कहा कि इस तरह के विषयों पर चर्चा करने में झिझक से अक्सर देश में अपराध बढ़ते हैं।

Essay on women awareness

इस चर्चा में स्त्री धन के कानूनी निहितार्थों और यह कैसे सीधे तौर पर महिला सशक्तिकरण से जुड़ा है, इस पर भी चर्चा की गई। उन्होंने बताया कि शादी के दौरान महिला को मिलने वाले सभी उपहार और संपत्ति उसकी एकमात्र संपत्ति रहती है।

इसके अलावा, मलिक ने पॉश एक्ट (प्रिवेंशन ऑफ़ सेक्सुअल एक्ट) पर भी बात की, जो 10 से अधिक कर्मचारियों वाले कार्यालयों में अनिवार्य है। यह अधिनियम यौन उत्पीड़न से संबंधित शिकायतों को संबोधित करने के लिए एक संरचित कानूनी ढांचा प्रदान करता है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि देश भर में कई सक्रिय पॉश मामलों को इस अधिनियम के तहत संभाला जा रहा है।

चर्चा के दौरान, एडवोकेट मलिक ने कोलकाता और देहरादून बलात्कार जैसे मामलों में कानूनी जानकारी दी, जिसमें महिलाओं के खिलाफ अपराधों को रोकने में जागरूकता के महत्व पर जोर दिया गया।

इस सत्र का संचालन प्रसिद्ध रेडियो जॉकी और पॉडकास्टर गौतम रेखी द्वारा किया गया।

इस अवसर पर बोलते हुए डब्ल्यूआईसी इंडिया के निदेशक सचिन उपाध्याय और अंकित अग्रवाल ने कहा, ‘ये वार्ताएँ हमारे समुदाय के लिए महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि वे सामाजिक मुद्दों पर महत्वपूर्ण चर्चाओं के लिए एक मंच तैयार करती हैं। महिलाओं के अधिकारों और कानूनी सुरक्षा के बारे में जागरूकता बढ़ाना एक सुरक्षित और अधिक न्यायसंगत वातावरण को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण है। ऐसे सत्रों के माध्यम से, हम दृष्टिकोण और मानसिकता में स्थायी परिवर्तन लाने की उम्मीद करते हैं, जो सामाजिक विकास और लैंगिक समानता के लिए आवश्यक हैं।’

सत्र के दौरान, चर्चा किए गए विषयों के संबंध में मौजूद दर्शकों ने कई विभिन्न प्रश्न भी किए।

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