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हिमवंत कवि चंद्र कुवंर बर्त्वाल की 105 वीं जयंती धूमधाम से मनाई गई

Himalayan poet Chandra Kunwar

देहरादूनः हिमवंत कवि चंद्र कुवंर बर्त्वाल शोध संस्थान द्वारा प्रकृति के चितेरे कवि चंद्र कुवंर बर्त्वाल की 105 वीं जयंती धूम धाम से मनाई गई। दून पुस्तकालय व शोध केन्द्र के सभागार में आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलित व चंद्र कुवंर बर्त्वाल के चित्र पर मार्ल्यापण कर किया गया। इस दौरान कार्यक्रम के मुख्य वक्ता कवि ओम प्रकाश सेमवाल व कवियत्री साहित्यकार बीना बेंजवाल,पूर्व आई ए एस चन्द्र सिंह, ठाकुर भवानी सिंह, राजगुरू कृष्णानंद नौटियाल ने वरिष्ठ साहित्यकार व पत्रकार स्व. डॉ. योगम्बर सिंह बर्त्वाल के छाया चित्र पर श्रद्धा सुमन अर्पितकर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी। कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व आई ए एस चन्द्र सिंह ने की। कार्यक्रम के शुभारंभ दीप प्रज्वलन कर किया गया।

मुख्य वक्ता कवि ओम प्रकाश सेमवाल ने अपने उद्वोधन में हिमवंत के चितेरे कवि चंद्र कुवंर बर्त्वाल को कालजयी रचनाकार बताते हुऐ कहा कि वह अल्प आयु में हिन्दी साहित्य को आपार साहित्य का भण्डार देकर गये है। जो हमारे लिए गौरव की बात है।उन्होंने कहा कि चन्द्र कुवंर बर्त्वाल को जिन्दा रखने के लिए डॉ योगम्बर सिंह बर्त्वाल जैसा जनूनू किसी न किसी को रखना होगा। इस दौरान उन्होंने स्वरचित गढ़वाली कविता ‘चन्द्रकुवंर रे पूरू सम्मान अभि नि मिल पायी रे’ गाया।

वही कवियत्री बीना बेंजवाल ने हिमवंत कवि चन्द्र कुवंर बर्त्वाल को महान साहित्यकार बताया जिन्होनें 12 वर्ष की आयु से शानदार कविता लिखनी शुरू कर दी थी। उन्होंने कहा कि चन्द्र कुवंर बर्त्वाल हिन्दी साहित्य को समृद्ध साहित्य दिया है। उनके साहित्य के प्रचार प्रसार में डॉ योगम्बर सिंह बर्त्वाल ने अतुलनीय योगदान दिया है।

इस दौरान संस्था के सचिव गौरव बर्त्वाल ने कहा कि चंद्र कुवंर बर्त्वाल शोध संस्थान सोसायटी बीते 30 सालों से इस कार्यक्रम को करते हुऐ आ रही है। डॉ योगम्बर के आकस्मिक निधन के बाद भी इस परम्परा को आगे चलाने का कार्यक्रम संस्था के द्वारा किया जा रहा है। जो निरंतर जारी रहेगा। संस्था के संस्थापक व सचिव द्वारा बीते समय में जो भी कार्य किये गये उन्हें आगे ले जाने का काम संस्था हर हाल में करेगी।

वही पूर्व आई ए एस व चंद्र कुवंर बर्त्वाल शोध संस्थान के वरिष्ठ सदस्य चंद्र सिंह ने कवि चंद्र कुवंर बर्त्वाल को याद करते हुए कहा कि जिस कवि की तुलना अंग्रेजी साहित्य के महान कवियों व प्रसाद पंत निराला जैसे कालजयी छायावादी कवियों के साथ की जाती है उनकी कविताओं का स्तर किस कदर का होगा इसे समझने में कोई ज्यादा मस्कत नहीं करनी पड़ेगी। डॉ योगम्बर सिंह बर्त्वाल नहीं होते तो चंद्र कुवंर बर्त्वाल की कवितायें भी गुमनामी के अंधेरों में खोई रहती।

कार्यक्रम में मुख्य वक्ता डॉ हर्षमणि भट्ट ने कवि चन्द्रकुवंर बर्त्वाल की कविताओ का पाठ कर कविवर को याद किया।

कार्यक्रम के दौरान प्रसिद्ध रंगकर्मी डॉ राकेश भट्ट ने चन्द्रकुवंर बर्त्वाल की शानदार कविता का गायन किया।

कार्यक्रम का संचालन डॉ मानवेन्द्र बर्त्वाल ने संयुक्त रूप से किया। कार्यक्रम के दौरान ठाकुर भवानी सिंह,पूर्व मंत्री शूरबीर सिंह सजवाण,राजगुरू कृष्णानंद नौटियाल,डॉ रमाकांत बेंजवाल,डॉ मीनाक्षी रावत, प्रभा सजवाण,संस्था के मीडिया प्रभारी भानु प्रकाश नेगी,देवेन्द्र नेगी, एडवोकेट देवेन्द्र बर्त्वाल शक्ति बर्त्वाल,आन्दोलनकारी प्रदीप कुकरेती समेत कई गणमान्य लोग मौजूद रहे।

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